माचिस का आविष्कार किसने किया

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क्या आप जानते हैं माचिस का आविष्कार किसने किया नहीं तो आप इस आर्टिकल को पुरा अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि इस आर्टिकल में आपको माचिस का आविष्कार किसने और कब किया इसके बारे में पूरी जानकारी हिंदी में दी गई है

आज के समय में माचिस का इस्तेमाल हर घर में किया जाता है लेकिन प्राचीन काल में दो पत्थर को एक दूसरे से रगड़ कर आग पैदा किया जाता था जोकि आग लगाने में काफी ज्यादा समय लगता था लेकिन उस समय के लोग इस तरकीब को अपनाते थे।

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लेकिन आधुनिक समय में माचिस और घर में आपको देखने के मिलेगा या यूं ही कह दे कि बिना माचिस के बगैर हमारी जिंदगी पूरी अधूरी है क्योंकि बिना आग के हम रह नहीं सकते और इसी के बदौलत हम हैं खाना भी बनाया जाता है अगर माचिस ना रहे तो हमारा खाना भी नसीब नहीं हो पाएगा इसलिए हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण घरेलू सामान माचिस है।

वर्तमान समय में माचिस लकड़ी के छोटी सी डंडे में बनाया जाता है और उसके ऊपर एक ऐसा सामग्री डाला जाता है जिसे कागज से रगड़ने पर आग उत्पन्न होती है तो आइए हम जानते हैं की माचिस का आविष्कार किसने किया।

माचिस क्या है?

माचिस एक घरेलू उपकरण है इसके बिना इस्तेमाल के हमारे खाने को नसीब नहीं होगा क्योंकि जब तक से हम माचिस से आग नहीं प्रज्वलित करेंगे तो हम अपने लिए खाना नहीं बना पाएंगे इसलिए माचिस के होना अत्यधिक जरूरी है लेकिन आज के समय में लाइटर के भी बहुत से लोग इस्तेमाल करते हैं ।

लेकिन सबसे पहले माचिस का आविष्कार किया गया था इसके देखते हुए लाइटर के भी अविष्कार किया गया । औद्योगिक क्रांति के समय यूरोप में स्व-प्रज्वलित माचिस का निर्माण किया गया पेरिस के प्रोफेसर के चांसल ने 1805 में लकड़ी में पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर, चीनी और रबर के घोल को लपेटकर एक हल्का माचिस बनाया।

माचिस का आविष्कार किसने किया

माचिस का आविष्कार 31 दिसंबर 1827 में john walker ने किया जो कि यह ब्रिटिश के रहने वाले थे जो किसके द्वारा बनाया गया माचिस चलाने में बहुत ज्यादा मेहनत लगती थी और माचिस जलाने में बहुत ज्यादा खतरा भी था।

माचिस के बनाने के लिए लकड़ी की तीली पर Potassium Chlorate, Antimony Sulfide,बबूल का गोंद या स्टार्च लगाया जाता था और इसे आग लगने के लिए रेगमाल पर रगड़ा जाता था तब जा करके तिली के मसाला जलता है लेकिन इससे चिनगारियाँ छिटकतीं थी और छोटे-छोटे विस्फोट होते थे जो की सुरक्षित नहीं थे। इसके अलावा गंधक के जलने से इसकी गंध भी बहुत तेज और बुरी होती हैं।

लेकिन इस खतरा से बचने के लिए किसने सुधारने किया गया 1832 में फ्रांस के antimony sulfide की जगह पर फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया लेकिन इसकी गंध तो दुर हो गई लेकिन इसमें धुआ निकलता था जो कि आज बहुत ही खतरनाक था इस फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर बिमार पड़ने लगे और बहुत से मजदूर का मौत हो गया।

इसके बाद 1855 में स्वीडन के ट्यूबकर ने दूसरे रासायनिक पदार्थों के मिश्रण का उपयोग किया जो कि यह माचिस सुरक्षित थी जो कि इस माचिस को आज हम लोग इस्तेमाल करते हैं।

भारत में माचिस का आविष्कार कब हुआ

भारत में माचिस का आविष्कार 1895 में हुआ लेकिन 1927 में शिवकाशी में नाडार बंधुओं द्वारा स्वदेशी माचिस का उत्पादन शुरू करने के लिए पहला कारखाना अहमदाबाद स्थापित किया गया।

माचिस के तीली किस पेड़ की लकड़ी है?

माचिस के तिल्ली के लकड़ी पापलर नाम के पेड़ की के मनाई जाती है जोकि बहुत अच्छी होती है लेकिन आज के समय में माचिस के तिल्ली कई पेड़ों से बनाई जाती है जो कि ज्यादा समय तक जल नहीं पाती है।

ज्यादातर कंपनी पैसा कमाने के लिए जलाऊ लकड़ी के माचिस की तीली तैयार करती हैं। इस प्रकार के लकड़ी के माचिस ज्यादा देर तक नहीं जलती और जल्दी बुझ जाती है।

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निष्कर्ष:-

मुझे उम्मीद है कि आपको माचिस का आविष्कार किसने किया इसके बारे में पूर्ण रूप से पता चल गया होगा अगर आपको इसके अलावा और भी सवाल है तो आप हमें कमेंट में बता सकते हैं मैं आपका सवाल की पूरी रिप्लाई देने की कोशिश करूंगा।

अगर हमारे द्वारा लिखे गए आर्टिकल में कहीं पर भी गलती हो तो आप हमें कॉमेंट के जरिए उस आर्टिकल को एडिट करवा सकते हैं।

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